Salik's ghazal: Sahar Ho Jayegi Sham-e-Ghariban, Ham Nahin Honge
After a hiatus of a couple of months, a Ghazal of Abdul Majeed Salik is being posted here. The command of the poet over language is clearly visible in this composition.
Read the ghazal:
चिराग-ए-ज़िंदगी होगा फरोजां, हम नहीं होंगे
चमन में आयेगी फसल-ए-बहारां, हम नहीं होंगे
जवानो! अब तुम्हारे हाथ में तकदीर-ए-आलम है
तुम्हीं होगे फरोग-ए-बज़्म-ए-इमकान, हम नहीं होंगे
हमारे डूबने के बाद उभरेंगे नए तारे
जबीन-ए-दहर पर छिटकेगी अफशां, हम नहीं होंगे
न था अपनी ही किस्मत में तुलू-ए-मेहर का जलवा
सहर हो जायेगी शाम-ए-गरीबां,हम नहीं होंगे
कहीं हमको दिखा दो एक किरन ही टिमटिमाती सी
कि जिस दिन जगमगायेगा शबिस्तां, हम नहीं होंगे
हमारे बाद ही खून-ए-शहीदां रंग लाएगा
यही सुर्खी बनेगी जेब-ए-उन्वां, हम नहीं होंगे
अब्दुल मजीद सालिक
Now read the same ghazal in Roman English script:
chiraaGh-e-zindagii hogaa farozaaN, ham nahiiN honge
Read the ghazal:
चिराग-ए-ज़िंदगी होगा फरोजां, हम नहीं होंगे
चमन में आयेगी फसल-ए-बहारां, हम नहीं होंगे
जवानो! अब तुम्हारे हाथ में तकदीर-ए-आलम है
तुम्हीं होगे फरोग-ए-बज़्म-ए-इमकान, हम नहीं होंगे
हमारे डूबने के बाद उभरेंगे नए तारे
जबीन-ए-दहर पर छिटकेगी अफशां, हम नहीं होंगे
न था अपनी ही किस्मत में तुलू-ए-मेहर का जलवा
सहर हो जायेगी शाम-ए-गरीबां,हम नहीं होंगे
कहीं हमको दिखा दो एक किरन ही टिमटिमाती सी
कि जिस दिन जगमगायेगा शबिस्तां, हम नहीं होंगे
हमारे बाद ही खून-ए-शहीदां रंग लाएगा
यही सुर्खी बनेगी जेब-ए-उन्वां, हम नहीं होंगे
अब्दुल मजीद सालिक
Now read the same ghazal in Roman English script:
chiraaGh-e-zindagii hogaa farozaaN, ham nahiiN honge
chaman meN aayegii fasl-e-bahaaraaN, ham nahiiN honge
javaano! ab tumhaare haath meN taqdir-e-aalam hai
tumhiiN hoge faroGh-e-bazm-e-imkaaN, ham nahiiN honge
hamaare Duubne ke baad ubhrenge naye taare
jabiin-e-dahar par chhiTkegii afshaaN, ham nahiiN honge
na thaa apnii hii qismat meN tuluu-e-meher ka jalvaa
sahar ho jaayegii shaam-e-GariibaaN, ham nahiiN honge
kahiiN hamko dikhaa do ek kiran hi TimTimaati sii
ki jis din jagmagaayega shabistaaN, ham nahiiN honge
hamaare baad hii Khuun-e-shahiidaaN rang laayegaa
yahii surKhii banegii zeb-e-unvaaN, ham nahiiN honge
Abdul Majeed Salik