Jon Elia's Nazm: Tum jab aaogi to khoya hua paogi..
Jon* Elia was born in the historic town Amroha in Moradabad [UP] in undivided India in 1931. Elia migrated to Pakistan in 1957.
Over the years his poetic stature grew. Elia was married to poet-columnist Zahida Hina. He died in 2002. Read his Nazm in Urdu, Hindi and Roman scripts:
तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे
jab aaogii to khoyaa huaa paaogii mujhe
Over the years his poetic stature grew. Elia was married to poet-columnist Zahida Hina. He died in 2002. Read his Nazm in Urdu, Hindi and Roman scripts:
तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे
मेरी तनहाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
इन किताबों ने बडा ज़ुल्म किया है मुझ पर
इन-में एक रम्ज़ है जिसमें रम्ज़ का मारा हुआ ज़हन
[ramz=hint, symbol, secret]
मुज़दा-ए-इशरत अंजाम नहीं पा सकता
ज़िंदगी में कभी आराम नहीं पा सकता
[muZhda=good news]
[ishrat=gaiety, happy social life]
जोन एलिया
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
इन किताबों ने बडा ज़ुल्म किया है मुझ पर
इन-में एक रम्ज़ है जिसमें रम्ज़ का मारा हुआ ज़हन
[ramz=hint, symbol, secret]
मुज़दा-ए-इशरत अंजाम नहीं पा सकता
ज़िंदगी में कभी आराम नहीं पा सकता
[muZhda=good news]
[ishrat=gaiety, happy social life]
जोन एलिया
jab aaogii to khoyaa huaa paaogii mujhe
merii tanhaaii meN KhwaaboN ke sivaa kuchh bhii nahiiN
mere kamre meN kitaaboN ke sivaa kuchh bhii nahiiN
in-meN ek ramz hai jismeN ramz kaa maaraa huaa zehen
zindagii meN kabhii aaraam nahiiN paa saktaa
[Wikipedia article also mentions the spelling of his name as Jaun and John]